मानव कल्याण की महान परंपराओ में जितने भी आयोजन और
अनुष्ठान हैं उसमे
सबसे बड़ी
परंपरा संस्कार और पर्वो की हैं ! संस्कारो द्वारा व्यक्ति एवं
परिवार में त्योहारो के माध्यम से समाज को प्रशिक्षिक किया जाता हैं !
स्वधाय चिंतन सबका प्रभाव इंसान की मनोभूमि पर पड़ता हैं और व्यक्ति की
भावना स्तर को विकसित करने में सहायता मिलती हैं ! संस्कार वे उपचार
हैं जिसके माध्यम से व्यक्ति को सुसंस्कृत बनाना सबसे अधिक सम्भव और सरल
हैं ! सुसंस्कारित व्यक्ति के लिए पारिवारिक और सामाजिक जीवन में मंगलमय
सिद्ध हो सकते हैं संस्कार ! मेरा ये मन्ना हैं कि संस्कार विहीन
सम्पन्नता का कोई मूल्य नहीं हैं ! हम भले ही कितनी भौतिक सुख सुविधाओ से
सम्पन्न हो जाये लेकिन हमारे पास संस्कारो का अभाव हैं तो हम नैतिक रूप
से कभी समृद्ध नहीं हो सकते ! कुसंस्कारी व्यक्ति से सभी लोग असन्तुष्ट
रहते हैं ! वह गलत रास्ते पर जाता हैं लोगो और समाज के सामने गलत
आचरण पेश करता हैं ! उसके अंदर उच्च मूल्यो और आदर्शो का अभाव होता हैं !
अच्छे कार्य करने की प्रतिभा भी नष्ट हो जाती हैं ! ऐसी दशा में
व्यक्ति अच्छी सफलता प्राप्त कर सके इसकी तनिक आशा भी नहीं की जा सकती !
आज युवा पीढ़ी में संस्कार लुप्त होते जा रहे हैं और वो राह से भटकते जा
रहे हैं ! ऐसे व्यक्ति जो जन्म जात संस्कार और प्रतिभा से संपन्न होते
हैं उंगलियो पर गिनने लायक होते हैं ! भारत देश को यदि विश्व गुरु का
स्थान प्राप्त करना हैं तो संस्कारो का हमारे समाज में बने रहना अत्यंत
उपयोगी सिद्ध होगा ! अच्छे समाज और राष्ट्र के लिए अच्छे संस्कार और
शिक्षा की आव्यशकता होती हैं जो अच्छे साहित्य पुस्तको के बिना सम्भव
नहीं हैं ! आज हम देखते हैं कि समाज में शिक्षा और संस्कारो में कहा
कमी रह गई जिसके कारण लड़किया और महिलाए दुष्कर्म का शिकार होती हैं
! आज जरुरत इस बात कि हैं जिस त्तरह हम लड़कियो को संस्कारित करने पे जोर
देते हैं उसी तरह लड़कियो को भी संस्कार देने की जरुरत हैं ! हम लड़को को
महिलाओ का सम्मान करना नहीं सीखाते हैं इतनी आज़ादी दी हैं कि इसके आगे वो
कुछ समझना नहीं चाहते ! समाज में लड़को को संस्कारित करेंगे तो
निश्चित रूप से समाज और परिवार में खुशहाली आएगी ! किसी भी समाज के लिए
शिक्षा और संस्कार बहुत महत्व पूर्ण हैं ! अगर लोग संस्कारो के साथ संपन्न
होंगे तो वो समाज के लिए बहुत सुखद होगा ! संस्कार व्यक्ति को मर्यादित
करते हैं ! हमारी शिक्षा व्यवस्था में भारतीय संस्कृति का ज्ञान दिया
जाना चाहिए ! हमारे जैन ग्रंथो में मनुषय के लिए नियम संयम से रहना
बहुत महत्व पूर्ण बताया हैं ! हमारे जैन मुनियो ने व्यक्ति को अपरिग्रह
की शिक्षा दी हैं ! व्यक्ति को सरल जीवन जीने का उपदेश दिया हैं ताकि वो
खुद का और समाज और परिवार को प्रगति के रास्ते पर ले जाये ! जैन धर्म
में मनुषय को संस्कारो के साथ जीने का उपदेश दिया हैं ! जैन धर्म में
त्रिरत्नो के पालन पर विशेष जोर दिया हैं !
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